वो कल मिली तो कहने लगी कि कि कभी फुर्सत में हो तो बैठेंगे ,बताईयेगा ! आज वो फिर मिली तो कहने लगी कि कुछ कहना है आपसे। मैं उसका हाथ थाम बैठ गयी। लगा कि रोना चाहती है पर वो मुस्कुराने की कोशिश कर रही थी। कहने लगी डॉक्टर ने सब टेस्ट करा लिए ,दिक्कत कहीं नहीं पर सर में तेज दर्द रहता है और जी करता है कि कहीं जा के जी भर के रो लूं।
मैं हैरान नहीं थी और मन में सवाल भी नहीं थे , क्यों नहीं थे इसका जवाब मेरे पास नहीं है। खैर , कहना उसको था और वो कहती जा रही थी।
जिंदगी इससे अच्छी क्या होगी दी कि मकान की जगह बंगला ,गाड़ी की जगह गाड़ियां मिलीं। पति ऐसे कि ये भी नहीं पूछते कि पैसा कब ,कहाँ ,कितना खर्च किया ,क्यों किया और ये भी नहीं कि ये क्यों नहीं किया या वो क्यों नहीं ! सास ऐसी कि पूछती हैं कि शाम को सब्जी क्या बनाएंगे ! बेटियां भी इन दिनों मेरा गुस्सा झेल रही हैं ! घर में सब कुछ मन का है पर मन ही नहीं लगता ?
क्या लगता है ,क्या चाहती हो ?
मैं चाहती हूँ कि कोई कहे कि ऐसा क्यों नहीं किया ? कैसे क्या करना है मुझसे पूछे ,मुझसे सवाल करे ? पति मुझसे कहें कि क्या है ये सब ? क्यों किया ,क्यों न किया ? सास ये क्यों नहीं कहतीं कि आज रात खाने में यही बनेगा !
ऐसा हो जाये तो क्या सब ठीक होगा ?
पता नहीं पर मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा ! डॉक्टर तनाव बता रहे हैं ,सब पूछते हैं दिक्कत क्या है ,बताओ ! अब क्या बताऊं ?
मैं ऐसी नहीं थी दी ! कभी भी नहीं ! मैं क्या करुं ? मैं इससे निकलना चाहती हूँ !
वो कहती जा रही थी। मैंने पूछा ,कभी इश्क़ किया है क्या जिंदगी में ?
हंस पड़ी वो ! कहने लगी ,आप भी ना ! अरे ऐसा तो कभी सोचा भी नहीं ,घर और कॉलेज बस और दोनों जगह दोस्तों और घरवालों के साथ ही समय अच्छा बीत गया। कभी कोई ख्याल भी नहीं आया फिर घरवालों की पसन्द से शादी हो गयी ,पति और परिवार में "खुश " हूँ।
सोशल मीडिया पर हो ? फेसबुक ,ट्विटर या वाहट्सएप्प वगैहरा ?
फेसबुक ,वाहट्सएप्प पर हूं पर उसमें मन नहीं लगता ! क्यों बताऊं किसी को मैं कहाँ गयी , किसको मिली ,बच्चों के नम्बर कितने आये क्यों आये ?
पढ़ने के अलावा और क्या शौक था ,क्या पैशन था ,क्या ख्वाब देखा था जिंदगी को लेकर ?
अरे इतना कौन सोचता है ? शादी से पहले पेंटिंग का शौक था , कई साल इसमें खर्च किये ! मजा आता था। अब सब छोड़े अरसा हुआ !
तो अब करो ,वो सब करो जिसे छोड़े अरसा हुआ ,जिसे फिर करने का कभी सोचा नहीं ! वो सोचो !
एक गहरी उदासी फिर से पसर गयी उसकी आँखों में।
कर पाउंगी क्या फिर से ? लगता है जिंदगी खत्म सी हो गयी है .......
बात कर ही रही थी कि फोन बजा ,क्लास का समय हो चला था ! बात अधूरी रह गयी।
कल फिर बैठेंगे ,तुम आज जाओ और सोचना कि तुम एक बार फिर वो करो जो कभी सोचा नहीं कि कभी फिर से करोगी ।
वो चली गयी ,मैं सोच रही थी कि जिंदगी की मासूमियत भी कातिलाना है। वो ऐसे सवाल उठा देती है कि खुद को झूठे जवाब देने में हम खुद को मार डालने पर मजबूर हो जाते हैं और वो साफ़ बरी हो जाती है।
निमिषा कल फिर आएगी ,मैं आपसे फिर हमारी मुलाकात साझा करूंगी । आप भी बताना कि उसके सवालों का मैं क्या जवाब दूं ?
चलते रहिये ,जिंदगी से सम्वाद करते रहिये !