Sunday 26 March 2017

रोमियो का खत ,प्राउड इंडियन जी के नाम !

प्रिय प्राउड इंडियन जी ,

मेरा नाम रोमियो है।  मेरा जन्म उस शेक्सपियर की कथा में हुआ था जो भारत से हजारों  मील दूर जब रची गयी, जब आप पैदा भी नहीं हुए थे। 

मेरा गुनाह सिर्फ इतना था कि मैंने उसको प्रेम किया जिसके परिवार एक दूसरे से नफरत करते थे पर इतनी सदियों के बाद , अब मेरा गुनाह ये हो गया कि मैंने प्रेम किया था। दो परिवार आपस में नफरत करें तो भी कीमत प्रेम को चुकानी पड़ती है , दो मुल्क आपस में नफरत करें तो भी कीमत प्रेम को ही चुकानी पड़ती है। अब धर्म और जाति तो मैं जानता नहीं क्योंकि उस उम्र में प्रेम में पड़ा जिस उम्र में नफरत के बीज उगने शुरू हो जाते हैं। 
मैं उस मौसम की पैदावार नहीं था , यही मेरा गुनाह था !

मैं आपके इस खूबसूरत देश कभी आया नहीं तो इस मुल्क के  छिछोरों की पहचान कैसे बन गया ? मैंने कभी किसी को छेड़ा नहीं फिर भी मैं भारतीय मनचलों का ब्रांड एम्बेसेडर बन गया ?  इस दुनिया में क्या प्रेम करना और छेड़ना एक समान ही है ?

मैंने जूलियट से प्रेम किया और उसी से शादी भी की। मैं उसको छोड़ के भागा नहीं और उसके साथ जीवन भर रहने की चाह लिए उसके साथ मर भी गया पर जाने दीजिये, जब आपके नेता ही आपके आदर्श हैं तो इसे आप नहीं समझेंगे !

मेरी पीड़ा बस इतनी सी है कि चार सदी गुजरने के बाद भी दुनिया नफरतों के भँवर में उलझी है और प्रेम करने वाले कल भी मारे जा रहे थे और आज भी मारे जा रहे हैं। आप सियासत करने वाले हैं आपको प्रेम और छिछोरेपन में अंतर करना कठिन लगता होगा , ये मैं समझता हूँ

मैं भारत के उन सभी युवाओं से अपील करता हूँ कि मैं रोमियो हूं , प्रेम करने वाला रोमियो ! मनचला -लड़कियों पर फब्ती करने और स्नूपिंग वाला रोमियो नहीं ! मुझे समझें और मेरे नाम को उस प्रेम के साथ ही जोड़ें जो हर जाति -धर्म और हर दीवार से परे सिर्फ प्रेम करना जानता था। मैनें जूलियट के साथ मरते दम तक अपना प्रेम निभाया ,यही मेरी संस्कृति और यही मेरा धर्म था। 

माननीय प्राउड इंडियन जी भारत आपका देश है , उसे चाहें जैसा बनाएं , जिसे चाहें उठायें , जिसे चाहें घसीटें ,पर मुझे बख्श दें। मैं मेरी जूलियट के साथ उस स्वर्ग में हूँ  जहां सिर्फ प्यार बरसता है। डंडों ,लातो और जेल की सलाखों का यहाँ कोई भय नहीं इसलिए मेरे नाम का दुरूपयोग ना करें। 
आपको आपकी नफरत मुबारक , मुझे मेरे प्रेम  की दुनिया में रहने दीजिये  !

 नमस्कार !

निवेदनकर्ता   
" रोमियो "