Monday 2 October 2017

क्या सुशांत सिन्हा मोदी जी के हरकारे हैं या रवीश के प्रति किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं ?



मेरे सामने दो ख़त हैं - एक रवीश का जो उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को एक नागरिक की हैसियत से लिखा था और दूसरा सुशांत सिन्हा का जिन्होंने रवीश के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र का जवाब दिया है |

क्या आप किसी के किसी को लिखे पत्र का जवाब दे सकते हैं ? मैं सवाल आपसे करूँ और जवाब देने कोई तीसरा आये तो उसे क्या मानूं ? ये भी सही है कि भारत के प्रधानमंत्री के पास इतना टाइम नहीं कि वो रवीश जैसे मामूली पत्रकार के मामूली से पत्र के जवाब के लिए समय निकाले ! ये मसला पत्र लिखने वाले और पत्र पाने के वाले के बीच का था !

खैर ! अगर आपने पत्र नहीं पढ़ा हो तो एक दो मसले बता देती हूँ |

रवीश ने लिखा कि उनको धर्म रक्षति रक्षित: नाम के उस व्हाट्स ग्रुप में जबरदस्ती जोड़ा जा रहा है जिसके कई एडमिन हैं और उनमें से कइयों को प्रधानमंत्री जी सहित कई अन्य माननीय फॉलो करते हैं |
इस ग्रुप द्वारा उनको मारने , खींचने , अश्लील हरकतें करने तक की अभद्र टिप्पणियां की हैं ! एक अन्य महिला पत्रकार को भी परेशान किया जा रहा है | रवीश ने इस वार्तालाप के कई स्क्रीन शॉट भी दिए हैं और उनके नाम भी बताये हैं !

इसी में वे आगे लिखते हैं कि उनको धमकी दी जा रही है कि वे नौकरी से निकाले जाएंगे ! इस पूरे पत्र में रवीश ने अन्य किसी मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया है |

दूसरा खत जो मुझे नहीं पता कि सुशांत बाबू ने किस हैसियत से लिखा है , में लिखा है की --

पहला - आपने अपने स्वर्गीय पिता से अपने आत्मिक रिश्ते को सार्वजनिक करने की धृष्टता की !

दूसरा -आप बेवजह डर रहे हैं यानि जो धमकियां मिल रही हैं उनको रवीश को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए ! वे ऐसा कर रहे हैं तो इसलिए कि आप प्रसिद्धि चाहते हैं ! वे खुद को अहमियत ना दें उनके रहने या जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा !

तीसरा - नौकरी जाए तो जाए आपकी बीबी खूब कमाती हैं और अब तक जितना कमाया उससे आप सड़क पर नहीं आएंगे !

आपने फलां को देखकर शीशा बंद कर लिया , मेरे लिये मैनेजिंग एडिटर को चिट्ठी क्यों नहीं लिखी !

पत्र के आखिर में तथाकथित पत्रकार सुशांत जी बीमार रवीश के स्वस्थ्य होने की कामना कर रहे हैं !

मैं हैरान हूँ और विचलित भी और विश्वास से कह रही हूँ पत्र का जवाब देने वाला या उसका कोई अपना उसी धर्म रक्षति रक्षित: का सदस्य होगा जो रवीश , बरखा , राजदीप को मारो - खींचो -पटको के साथ सम्पूर्ण परम् अश्लीलता के उन्माद के नारे लगा रहा है !

आप जिस भी दल /विचारधारा का समर्थन करते हैं वो आपके व्यक्तित्व में झलकने लगती है और अंततः वह संस्था या तो आप जैसी हो जाती है या आप उसके जैसे हो जाते हैं !

यदि आप सोचते हैं कि असहमति का अंत गौरी लंकेश जैसा होना चाहिए या असहमति का बलात्कार करना चाहिए तो आप उस भी उस उन्मादी भीड़ का हिस्सा बनने जा रहे हैं या बन बन चुके हैं जिसको जीवन के मूलभूत प्रश्नों से कोई सरोकार नहीं है | आप चुप रहें और जयजयकार करके चमत्कार का इंतज़ार जब तक करें जब कि कोई आपका अपना सवाल करने के जुर्म में अपनी नौकरी नहीं खो देता या चौराहे पर मारा नहीं जाता |

यदि आप ऐसा नहीं सोचते हैं और मानते हैं कि पत्रकार का काम आंकड़ों की बाजीगरी का सच सामने लाना है ताकि आपका पैसा आपके काम आये , ताकि आप ये जान सकें कि आपने जिनको चुना था वो क्या सही क्या गलत कर रहे हैं तो समझिये कि टीवी में परोसी जाने वाली भायँ - भायँ केवल मरीचिका है , बचना चाहते हैं और अपना तर्क बचाये रखना चाहते हैं तो टीवी देखना बंद कर दीजिये | धार्मिक उन्माद से बचिए और समझिये कि एक पूरी इंडस्ट्री है जो ये फरेब लिखती है ,आपको जोड़ती है और आंकड़ों के मायाजाल से भरमा के पेट्रोल की बढ़ती कीमतों , फिसलती नौकरियों के सवाल से दूर कर रही है |

बाकि तो आप जो चाहे जो सोचें , जो चाहे करें कौन रोक सकता है !

दोनों के पत्रों के लिंक आपको दे रही हूँ केवल ब्लॉग के संदर्भ के लिए !

रवीश का पत्र जो प्रधानमंत्री जी के लिए था -
https://www.facebook.com/RavishKaPage/posts/706573349540815


सुशांत सिन्हा का प्रत्युत्तर -
http://www.sushantsinha.news/%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE/