Thursday 20 December 2018

......लेकिन रंगों के खेल में खुद बेरंग मत हो जाना ..... इतना कि तुम खुद को भी पहचान ना सको !!



ये निष्ठाएं भी अजब का पागलपन हैं !! डिस्क्लेमर जैसा कुछ सबके दरवाजे पर टंगा है....... फैशन के इस दौर में गारंटी की उम्मीद ना रखें !

हम फिर भी कितना कुछ चाहने लगते हैं और मानने लगते हैं जैसे हर चाहा और माना हुआ हो ही जाना हो ,जैसे वो आपका अधिकार हो  | 

अपनी मूर्खताओं और अपनी समझ पर वक्त कितनी आसानी से पानी फेर जाता है | रिश्ते कितने भी अजीज हों ,कितने भी जतन से सम्भाले गये हों , एक रोज " मोनोटोनस" हो ही जाते हैं | 

नयापन बाज़ार में बिकता हो तो बताओ ,खरीद लायें ? एक के साथ एक फ्री इन्द्रधनुष खरीद लें , जब तुम इस रंग से बोर हो जाओ तो तुम्हें दूसरा रंग थमा दूं ?

नये लोग जीवन में नई सम्भावनाएं जगाते हैं और पुराने धीरे धीरे दरवाजे की ओर धकेले जाते हैं | एक सहज प्रक्रिया की तरह इसकी व्याख्या और इसका समाजशास्त्रीय विश्लेषण सुनकर लगता है जैसे आप किसी बाज़ार में खड़े हैं और सामने वाला आपको मार्केटिंग की टिप्स दे रहा है | 

ये सब देखते देखते और जीते जीते एक रोज़ मन जाने कहाँ उठ के चल देता है !! 

रिश्तों के बाज़ार में भ्रम के सौदे हैं | सौदा पट जाना चाहिए फिर बाकि सब गौण हो जाता है | रिश्तों पर एक चादर निष्ठाओं की भी होती है , ढकी रहती है तो अपने लगते हैं | भीतर सब खोखले हैं और एक लम्हे में तार -तार हो जाने हैं | 

कोई भी आवाज़ उस सफर की कहानी बयाँ नहीं कर सकती जो किसी त्रासदी से उपजी हो , वैसे ही जैसे वो चुप्पी जो किसी संवाद में "और " पर आकर अटक गयी हो | 

समन्दर किनारे की रेत है मन !! कितनी ही लहरें आयें -जाएँ ये रीता का रीता रह जाता है !! खारे -नमक को पीता, रेत हो जाने की नियति को स्वीकार कर चुका हो जैसे  | 

किसी "इंटरेस्टिंग" सी स्टोरी का प्लाट सजाते -सजाते मन कितनी ऊब से भर गया है | अब तुम जाओ और इन्द्रधनुष उतार के लाओ ताकि किसी के जूडे में उसे सजा सको ,उसके संग दिल बहला सको | 

मैं यहीं हूँ ! देखूंगी अपने आसमान पर नये रंगों को सजते, तुमको मुस्कुराते और इठलाते !! 

जाओ - तितलियाँ और फूल सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं ....... !!

किसी बाग़ या माली से निष्ठा मत रखना , बाग़ उजाड़ हो जाते हैं , माली मर जाते हैं लेकिन फूल और तितलियाँ कहीं नहीं जातीं ....... हर बार नई मिलेंगी ,नये रंगों और नयी गंध के साथ !

लेकिन रंगों के खेल में खुद बेरंग मत हो जाना ..... इतना कि तुम खुद को भी पहचान ना सको !!


Monday 24 September 2018

हम सिर्फ साँसों के नुमाइंदे हैं , क़ानून की किताब नहीं !

कई सवाल और उनके कई जवाबों के बीच में फंसी कलम हैरां है कि कौनसा सवाल पहले लिया जाये और कौनसा जवाब उस सवाल का सही जवाब हो सकता है |

अरे !! ऐसा नहीं होता !! एक सवाल का जवाब एक ही हो सकता है |
क्यों ? जब सवाल किसी एक जवाब का परिणाम नहीं है तो जवाब भी कई होंगें ही ना !!!
नहीं , अगर तुमने ऐसा किया तो इसका अर्थ है तुम जवाब को गढ़ रही हो | जानती हो सच को गढ़ नहीं सकते |
यानि सवाल गढ़ सकते हैं लेकिन जवाब नहीं गढ़ सकते ?
सवाल कौन गढ़ता है ? वो तो उपजते हैं |
और जवाब ? जवाब भी तो उपजते हैं , अलग अलग किस्म के ,मौसम के हिसाब से !!
ये कुतर्क है |
तो तार्किक सवाल होते हैं और जवाब सब कुतर्क ?
नहीं ऐसा नहीं है | बात ये है कि मैं अगर कुछ सवाल कर रहा हूँ तो कुछ जानते हुए ही कर रहा हूँ ना और अगर जानते हुए कोई सवाल किया है तो उसे गढ़ना नहीं कहेंगे |
यानि तुम जवाब जानते हो फिर भी सवाल कर रहे हो ?

हाँ , ऐसा ही समझ लो |
ऐसा क्यों ? जब जानते हो तो जो जानते हो उसे ही मेरा जवाब मान लो और बात खत्म करो |

नहीं ये तो मेरी और से जबरदस्ती हो जाएगी | मैं तुम पर जवाब थोपना नहीं चाहता , बस जानना चाहता हूं !!
पर तुम जानते हुए भी क्या जानना चाहते हो ?
यही कि क्या मैं सही जानता हूँ ?
नहीं तुम कुछ नहीं जानते और जो जानते हो वो सही नहीं है |
देखो अब तुम जवाब को घुमा रही हो !!
अच्छा तो सीधा जवाब ये है कि तुम्हारा सवाल मेरे से जवाब लेने का अधिकारी नहीं है |

क्यों ? ये मेरा अधिकार है कि तुमसे सवाल करूँ ?
हो सकता है तुम्हारा अधिकार हो पर मेरा अधिकार है कि चाहूँ तो जवाब दूँ और ना चाहूं तो ना दूँ |
ये अनैतिक है , सीमा का उल्लंघन है |
तो जो नैतिकता तुम्हें सवाल करने का हक दे रही है वो मेरे जवाब नहीं देने को अनैतिक घोषित कर रही है ?

बहस से कोई फायदा नहीं !! साफ़ है कि तुम्हारे पास जवाब इसलिए नहीं है कि तुम दोषी हो
मेरा दोष ?

दोष यही है कि तुम सवालों से मुक्त होकर भाग जाना चाहती थीं लेकिन ऐसा कर नहीं सकीं !!

यानि तुम विजेता हो ? सवालों के घेरे में मुझे कैद करके रखना चाहते हो ?

दुनिया बड़ी खराब है , बाहर निकलना भी मत !!

सच कहा तुमने , दुनिया वाकई खराब है ! यहाँ तुम हो , सवाल हैं और जवाबों का ऐसा सन्नाटा है जिसे हजार चीख भी नहीं तोड़ सकती !!

लेकिन सुनो !!

कहो ?

मेरे पास एक विकल्प है |

वो क्या  है ?

अब मैं तुमको कोई जवाब नहीं दूंगी ,तुम्हारे किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दूंगी !! अब मैं तुमको सवालों का पर्चा दूंगी और हर पर्चे में उतने ही सवाल होंगे जितने तुम्हारे जवाब जानने के अधिकार हैं |

मैं जवाब नहीं दूंगा !!

मत देना लेकिन अब से यही जवाब मेरा भी मान लेना और सवालों के नकाब ओढ़ जवाब की जिद मत करना ! सच ये है कि ना तुम जवाब जानते हो ना मैं , ना तुम सवाल कर सकते हो ना मैं | हम सिर्फ साँसों के नुमाइंदे हैं , क़ानून की किताब नहीं !

पल पल को जी लो , लहर लहर भीग लो....... और कहानी कुछ आगे है भी नहीं और थी भी नहीं  !!









Tuesday 13 February 2018

मुन्ना ,बेबी ,जानू ,जाना सबका मालिक वैलेंटाईन है इसीलिए ......... !!!

फरवरी का महीना है ,प्रेम की बासंती हवा चल रही है।  कुछ ठिठुर रहे हैं , कुछ सिहर रहे हैं और कुछ रजाई को कसे जा रहे हैं ,कहीं उनको छूत न लग जाए |

 हम सब विरोधाभासों में जीते हैं ! सबको प्रेम चाहिए , सब प्रेम में हैं लेकिन प्रेम पर सबकी की भौहें तन जाती हैं | अगर प्यार सिर्फ जीवन जीने का तरीका होता तो ये दिक्कत नहीं होती ,दिक्कत इसलिए है क्यूंकि ये आपको नफरत सिखा रहा है , छलने और ठगने के तरीके सिखा रहा है | अब आप प्रेम के व्यापारीकरण के दौर में हैं इसलिए आपको किसी से अपना प्रेम साझा करने के लिए एक हफ्ते की निर्धारित प्रक्रियाओं को पूरा करना है | 

चुराई हुई शायरी , उधार के गिफ्ट और जतन से की गयी लीपापोती के बाद जब आप प्रेमी आमने-सामने होते हैं तो किसी रंगमंच के कलाकार अधिक होते हैं ,प्रेमी नहीं ! स्क्रिप्ट लिख के भी कोई प्रेम कर सकता है क्या ? करते हैं , बहुत हैं जो बतायेंगे कि आपसे बेहतर इंसान उसके जीवन में कभी नहीं आया ..... सच ये होता है कि कहने वाले को ना पहला याद है ना आप अंतिम हो | 

डिजिटल दौर के प्रेम में जब तक दिल वाली इमोजी और टैडी के साथ किस्सियों का आदान प्रदान ना हो तो लानतों का दौर चालू हो जाता है | मुन्ना ,बेबी ,जानू ,जाना सबका मालिक वैलेंटाईन है इसीलिए इस दिन को हमारा संस्कारी देश कूड़ा नजर से दखता है | बाबा वैलेंटाईन ने भगवा कपड़े पहन लिए होते तो देश की 80% समस्या का समाधान हो जाता | 

दिल्ली के अंकित को प्रेम की दर्दनाक सजा मिली , ये सजा उसको मिलनी ही थी ..... जन्म लिया था उसने इस दानव समाज में ! एक मां के सामने उसके बेटे को कोई ऐसी सजा दी है कि मन डरता है कि उस मां की कोख से निकली बद्दुआ पूरे समाज को ही कहीं नामर्द ना बना दे ! प्रेम करने वाले से नफरत कैसे कर सकते हो तुम भाई लोग ?

जब आप प्रेम में होते हो दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह पर , सबसे जादुई पलों को जी रहे होते हो ! हर मुश्किल से पार कर पाने का ,उसका सामना करने की हिम्मत जुटा पाते हो , हर किसी को खुशगवार नजरों से देखते हुए दुनिया बनाने वाले का शुक्रिया अदा करते हो ! 
क्या हम हमेशा ऐसे ही नहीं रह सकते ? क्यूँ हम इतने विध्वंसक हो जाते हैं ,क्यूँ प्रतिशोध हमारे प्रेम पर भारी पड़ जाता है ? 

क्या आप अपनी मर्जी से किसी जात विशेष में पैदा हुए हैं ? क्या प्रेम जाति देख कर किया जा सकता है ? जाति देखकर केवल सत्ता के चक्रव्यूह रचे जा सकते हैं ! लग्न कुंडली तक में राहू केतु वही होंगे जो आपके या किसी और के हैं !! आप आज मुस्लिम हैं कल हिन्दू कोख मिल गयी तो क्या कीजिएगा , आज हिन्दू हैं कल ईसाई हो गये तो ?

ये प्रेम का मौसम है , छोटा सा जीवन है ! जिसके साथ खुश हैं और ईमानदार हैं ,उसी को जीवनसाथी बना लीजिये ! सम्मान कीजिये प्यार का ताकि कभी ये ना कहना पड़े कि मेरे नसीब में सिर्फ धोखा है , नफरत है और असफलताएं हैं ! प्यार करने वालों को प्यार से देखिये , प्यार का व्यापार करने वालों पर सख्त नजर भी रखिये !

प्यार को सलाम और आप सबको ढेर सारा प्यार !  बाबा वैलेंटाईन आप सबके जीवन को प्यार -मोहब्बत से तर रखें ! चलते हैं ,अपना ख्याल रखियेगा मौसम बदल रहा है !!