Monday 24 September 2018

हम सिर्फ साँसों के नुमाइंदे हैं , क़ानून की किताब नहीं !

कई सवाल और उनके कई जवाबों के बीच में फंसी कलम हैरां है कि कौनसा सवाल पहले लिया जाये और कौनसा जवाब उस सवाल का सही जवाब हो सकता है |

अरे !! ऐसा नहीं होता !! एक सवाल का जवाब एक ही हो सकता है |
क्यों ? जब सवाल किसी एक जवाब का परिणाम नहीं है तो जवाब भी कई होंगें ही ना !!!
नहीं , अगर तुमने ऐसा किया तो इसका अर्थ है तुम जवाब को गढ़ रही हो | जानती हो सच को गढ़ नहीं सकते |
यानि सवाल गढ़ सकते हैं लेकिन जवाब नहीं गढ़ सकते ?
सवाल कौन गढ़ता है ? वो तो उपजते हैं |
और जवाब ? जवाब भी तो उपजते हैं , अलग अलग किस्म के ,मौसम के हिसाब से !!
ये कुतर्क है |
तो तार्किक सवाल होते हैं और जवाब सब कुतर्क ?
नहीं ऐसा नहीं है | बात ये है कि मैं अगर कुछ सवाल कर रहा हूँ तो कुछ जानते हुए ही कर रहा हूँ ना और अगर जानते हुए कोई सवाल किया है तो उसे गढ़ना नहीं कहेंगे |
यानि तुम जवाब जानते हो फिर भी सवाल कर रहे हो ?

हाँ , ऐसा ही समझ लो |
ऐसा क्यों ? जब जानते हो तो जो जानते हो उसे ही मेरा जवाब मान लो और बात खत्म करो |

नहीं ये तो मेरी और से जबरदस्ती हो जाएगी | मैं तुम पर जवाब थोपना नहीं चाहता , बस जानना चाहता हूं !!
पर तुम जानते हुए भी क्या जानना चाहते हो ?
यही कि क्या मैं सही जानता हूँ ?
नहीं तुम कुछ नहीं जानते और जो जानते हो वो सही नहीं है |
देखो अब तुम जवाब को घुमा रही हो !!
अच्छा तो सीधा जवाब ये है कि तुम्हारा सवाल मेरे से जवाब लेने का अधिकारी नहीं है |

क्यों ? ये मेरा अधिकार है कि तुमसे सवाल करूँ ?
हो सकता है तुम्हारा अधिकार हो पर मेरा अधिकार है कि चाहूँ तो जवाब दूँ और ना चाहूं तो ना दूँ |
ये अनैतिक है , सीमा का उल्लंघन है |
तो जो नैतिकता तुम्हें सवाल करने का हक दे रही है वो मेरे जवाब नहीं देने को अनैतिक घोषित कर रही है ?

बहस से कोई फायदा नहीं !! साफ़ है कि तुम्हारे पास जवाब इसलिए नहीं है कि तुम दोषी हो
मेरा दोष ?

दोष यही है कि तुम सवालों से मुक्त होकर भाग जाना चाहती थीं लेकिन ऐसा कर नहीं सकीं !!

यानि तुम विजेता हो ? सवालों के घेरे में मुझे कैद करके रखना चाहते हो ?

दुनिया बड़ी खराब है , बाहर निकलना भी मत !!

सच कहा तुमने , दुनिया वाकई खराब है ! यहाँ तुम हो , सवाल हैं और जवाबों का ऐसा सन्नाटा है जिसे हजार चीख भी नहीं तोड़ सकती !!

लेकिन सुनो !!

कहो ?

मेरे पास एक विकल्प है |

वो क्या  है ?

अब मैं तुमको कोई जवाब नहीं दूंगी ,तुम्हारे किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दूंगी !! अब मैं तुमको सवालों का पर्चा दूंगी और हर पर्चे में उतने ही सवाल होंगे जितने तुम्हारे जवाब जानने के अधिकार हैं |

मैं जवाब नहीं दूंगा !!

मत देना लेकिन अब से यही जवाब मेरा भी मान लेना और सवालों के नकाब ओढ़ जवाब की जिद मत करना ! सच ये है कि ना तुम जवाब जानते हो ना मैं , ना तुम सवाल कर सकते हो ना मैं | हम सिर्फ साँसों के नुमाइंदे हैं , क़ानून की किताब नहीं !

पल पल को जी लो , लहर लहर भीग लो....... और कहानी कुछ आगे है भी नहीं और थी भी नहीं  !!