Sunday 18 September 2016

रवीश से बेहतर कोई नहीं है !

आजकल रवीश ट्विटर पर नहीं हैं , फेसबुक से भी गायब हैं। एक क्षण को अच्छा नहीं लगता रवीश का दोनों जगह से गायब होना पर दूसरे  ही क्षण लगता है कि अच्छा ही है यहाँ नहीं होना !

क्यों किसी की वजह से वो अपनों पर ,अपने आप को लोगों की गन्द से तरबतर करें ? उनकी गन्दी भाषा और घटिया स्तर से अपने चरित्र को बाजार की चीज बना दें ? सोशल मीडिया पर लोकप्रियता की कीमत ने उन लोगों को हमारी पहुंच से दूर कर दिया जो वास्तव में पढ़ने ,सुनने और जीने लायक हैं। 

140 शब्दों में बारामुला के फ्लाईओवर से गाज़ियाबाद के जाम के किस्से और उनके घर लौटे हुए FM पर बजते हुए गाने , सब कुछ ख़ूबसूरत सा आँखों के सामने से गुजरता रहता था। 

चीन की खबरें मैं भी पढ़ सकती हूँ पर गुरूजी पाठ पढाते थे तो पाठ जल्दी समझ आता था........ हाहाहाहा ! सच में नोट्स बने बनाये मिलें तो मेहनत कौन करे।  रवीश के प्राइमटाइम का इंट्रो भी ऐसा ही होता है ,जब वो एक साँस में , बिना पानी पीये पूरी लीलावती - कलावती सुना जाते हैं....... मैं पानी पी लेती हूँ ,इंट्रो सुनकर ! 

ये भी कमाल है और वो भी कमाल है , बात वही होती  है जो हर चैनल पर हो रही होती है पर रवीश जब उसी बात को  कहते हैं तो बात वो नहीं होती जो हो रही होती है। निष्पक्षता की उम्मीद में रवीश से नहीं रखती , क्यों रखूँ ? पत्रकार हैं  ,सवाल करना और हर एक से सवाल ,तीखे सवाल भी करते हैं पर कुछ एक अनुभवों से वो भी गुज़रे होंगे जैसे आप हम गुज़रते हैं तो राय बन ही जाती है और न भी बने तो कहीं न कहीं कोई सच हमारे भीतर पलता बढ़ता है ही। 

भाषा की मर्यादा और भाषा के चयन में सावधानी बरतने में रवीश से बेहतर कोई नहीं। वो मना करते हैं कि प्रशंसक न बनिये पर मैं प्रशंसा तो कर ही सकती हूँ न । 

कोई कितनी भी आलोचना करे पर ये स्वीकार करने में किसी भी स्वस्थ मानस को तकलीफ नहीं होनी चाहिये कि पत्रकारिता के दिन ब दिन गिरते स्तर में रवीश आज भी उन मूल्यों को जिन्दा रखे हैं जिनको जिन्दा रखने में वे खुद कितने  मुश्किल दौर से गुज़रे होंगे , कल्पना करना भी कठिन है। 

रवीश , आप भले ही ट्विटर -फेसबुक से गायब रहें पर हमतक आपकी बात पहुंच ही जाती है । नीली कमीज -सुर्ख टाई और ग्रे मेरा पसन्दीदा सम्वाद है। आप के अनकहे शब्द उनसे उपजी आपकी उलझन भी कैमरा पढ़ के हम तक पहुंचा ही देता है । 

रवीश की रिपोर्ट को भी मिस कर रही हूँ। कभी प्रेम नगर की उन गलियों में जहाँ चुनावों से पहले आप गए थे और उन बस्तियों में जहाँ कोई और नहीं जाता ,एक बार फिर ले चलिए , इसलिए नहीं कि क्या बदला इसलिए कि कुछ नहीं बदलता । हवा किसी की भी हो , राजनीति में जिंदगी के सवाल टिक नहीं पाते। 

इंतज़ार रहेगा , मैं रवीश कुमार का प्राइम टाइम में ......... अरे हाँ ! साउंड क्लाउड पर भी लम्बे समय से आपकी कोई रिकॉर्डिंग नहीं है। 

अब इतनी सारी जगह रवीश हैं पर नहीं हैं। कुछ और रवीश चाहिए ,कुछ और आवाज़ें चाहिये इस व्यवस्था को जो उनको आवाज़ दे जिनकी आवाज़ को कोई सुनना नहीं चाहता। क्या पता ऐसा कब हो और हो भी तो कब सामने आये ?

खैर ,चलते रहिये ! टीवी कम देखिये और देखिये भी तो केवल प्राइम टाइम देखिये और वो भी रवीश के साथ ! प्रणाम !

2 comments:

  1. Role of #tetanus in COVID19 a PREVENTIONS..JASVINDER SINGH
    https://drive.google.com/file/d/1-3JuER_6yLsyMZhwDWNWhllV94qo0s-f/view?usp=drivesdk

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  2. Go a head with tetanus TOXOID vaccination and restrict #COVID19 deaths

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