Friday 2 December 2016

ख्वाहिशों की लपट जिंदगी के दरिया होने का भरम जिलाये रखती है......

मरीचिका देखें हैं क्या कभी ? देखें होंगे ,वो जो तपती सड़क पर लपट सी , दरिया का भरम बनता है न ,वही ! जिंदगी वैसी ही लगती है कभी ...... दरिया ,लपट की दरिया ! अंतहीन प्रतीक्षा और अंतहीन प्यास.... निष्ठुर कहीं की ! छलना है और छल के आगे फिर प्रेम -वेदना का ताना बाना है। सांसों का ऐसा बुनघट कभी देखे हैं जिसमें जिस्म ही ढका हो और रूह उघड़ी हो ... हाँ ,ये वैसी ही है। इसके आरपार वो सब है जो दीखता नहीं लेकिन जनम -जनम से है ...... सांसें सफर करती हैं , कभी इसकी शक्ल में कभी उसकी शक्ल में !
कोई अधिकार नहीं, कोई प्रतिकार भी नहीं .... जो मेरा है ही नहीं उससे शिकायतों का व्यवहार भी नहीं .....जिंदगी से रिश्ते की ये शर्त भी मान ली है।

उंडेल दिया है खुद को उसी प्याले में ....... जहर हो या अमृत कौन जाने ! फर्क भी क्या पड़ता है अब ! निष्कर्षों का  दौर बीत चुका है। हर निष्कर्ष बेमानी निकला और मुझे ही मूर्ख साबित करके चला गया ....... नहीं पता ,जिंदगी क्या चाहती है ,क्या मन चाहता है !

बावरा है, सपने देखता है , बातें करता है , हंसता है और फिर खुद ही रो देता है ! अब ये सोचना भी अच्छा लगता है कि आप ठगे गए ...... ठग लिया, सांसों ने ठग लिया। न ठगे जाते तो सफर कैसे होता ? गठरी कांधे पर रखी है ,अब प्रतिवाद भी नहीं होता ! जी करता है.....खुद ही सौंप दूं "ले जा,अब ये भी ले जा " ........शेष कुछ न रहे ,कुछ मुझमें और कुछ उसमें भी न रहे जो कहता है कि ना दे !

इस सब खेले में एक ही सच है , वो इश्क़ है ! जो लम्हे चांदनी में घुल अमृत बन बरसे हैं बस उतना सा जीवन है ...... मन की डोर और सांसों के इस बुनघट के बीच उसका होना ही मेरा होना है। रात सी जिंदगी है और दिन उगते से गुम जाती है ! दिन सब ख़लिश में बीतता है और ख्वाहिशों की लपट जिंदगी के दरिया होने का भरम जिलाये रखती है। 

मुझे चाँद ही भाता है , भरम नहीं भरोसा देता है। उसकी मुस्कुराहटों से सांसे तर हुई जातीं हैं ,मन के किसी कोने में जिंदगी दमकती है और कहती है मैं मरीचिका नहीं हूँ ,दरिया हूँ , इश्क़ का दरिया..... बाँध लो मुझे , आओ मेरे करीब आओ !

मैं उतर रही हूं और अब दरिया के बीच में हूं ...... डूबी तो भी पार और उतरी तो भी पार !

चल मेरे मांझी ले चल अब जहां तेरा दिल कहे , नदी भी तेरी है और सांसे भी तेरी ! मेरा होना केवल भ्रम है।

No comments:

Post a Comment