Monday 7 March 2016

नारंगी का मौसम है !! जयकारा लगाइये - जय नारंगी - हर हर नारंगी !

आजकल रोज सुबह उठते ही सबसे पहले खुद को आश्वस्त करना होता है कि सब ठीक है ना ,चेहरे और माथे पे देश द्रोह तो नहीं उग गया , सड़क और आँगन पर भी नज़र डालनी होती है कोई देशद्रोह तो नहीं फेंक गया।
मैं नारंगी फोबिया से ग्रस्त हो गयी हूँ। चाय भी भगवा नज़र आने लगी है ,कोने के मंदिर वाले भगवान जी और पुजारी के सामने से सिर झुका के निकलती हूँ , कहीं ढकोसला विरोधी संस्कार कोई उत्पाती  नारा ना लगा दे।

सड़क पर तमाम पॉलीथिन खाती लावारिस गौ माताओं को देखते हुए घर तक देशभक्ति में सिर झुका के आना पड़ता है। "नारंगी गिल्ट  " घेर लेती है।


वार्डरोब में भी असहिष्णुता आ गयी है। हरी साड़ियां और लाल कुर्ते को मना कर दिया गया है। केसरिया -नारंगी धारण कर के जाती हूँ तो नजरें आश्वस्त रहती हैं ,दूसरे रंग पहनने की धृष्टता कर बैठूं तो एक बार फिर से ' नारंगी गिल्ट" घेर लेती है। 

हरी साड़ियां और लाल कुर्तों को मना कर दिया है कि दिखना भी मत ! केसरिया रंग पहन के जाती हूँ तो सड़क से लेकर ऑफिस तक में कोई सवाल नहीं होता। किसी दिन गलती से कोई दूसरा रंग आ जाये तो सबकी नज़रें बता देती हैं कि देश से गद्दारी कर रही हूँ।

लंच में किसी ने कहा कि बिरयानी अच्छी बनाती हो ,बड़े दिन हुए ,कब ला रही हो ? मुझे लगा कि चोरी पकड़ी गयी ,मेरे चूल्हे को क्या पता कि मैं उस पर मुगलिया रसोई पका रही हूँ !! उफ्फ्फ .........
नारंगी फोबिया ने मेरी जिंदगी को सतरंगी की जगह नारंगी बना दिया है ! मैं उसकी फांकों सी खोल में लिपटी डरी सहमी हूँ......

टीवी देख कर डर लगता है कि सामने बैठे नारंगी देशभक्त मुझे वहीं से खींच के चिल्लाने ना लग जाए कि " गौर से देखिये इस चेहरे को जो आराम से सोफे पर बैठ कन्हैया की स्पीच सुन रहा है " मैं मोबाइल बंद कर देती हूँ। कुछ देर के लिए टीवी का वॉल्यूम बढ़ा देती हूँ , दो फायदे होते हैं इसके - पहला कि घरवाले सब पुराने सब मसले भूल कर बहस में उलझ जाते हैं और मैं खामोशी से वहां से निकल लेती हूँ और दूसरा पड़ोसी भी निश्चिन्त रहते हैं कि भगवा है तो सब ठीक है !

रोज पंचांग देख लेती हूँ और मंडे संडे की जगह पड़वा ,प्रदोष याद रखती हूँ। नमस्ते पहले भी करती थी अब जयकारा भी लगा देती हूँ। 
सब सही चल रहा है बस नारंगी फोबिया पर जय पा ही चुकी हूँ। अब कोई फर्क नहीं पड़ता कि चिकन खाते हुए नारंगी गैंग से बीफ से संस्कृति के नुकसान या पड़ोस वाली दादी के पैर छूके आने वाले भाई जी को साथ वाली भाभी जी की माँ -बहन करते देखना !!

सब सही है बस कहने -पीने -सोने -पहनने -बोलने -रोने -धोने -गाने -ताने सबका रंग नारंगी होना चाहिए बाकि तो जो है सो आप सब जानत रहे।
नारंगी का मौसम है !! जयकारा लगाइये - जय नारंगी - हर हर नारंगी !

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