Friday 25 March 2016

लौटने के लिए कुछ तारीख़ें वक्त तय करके रखता है। आखिर तारीखों का भी तर्पण होता है ,उनमें में भी प्राण होते हैं।

दिल खुश है आज .......  बोझ उतरा हो मानो ! बेवजह की जंजीरें ,बेकार के सिलसिले खुद ही खुद से उलझने -सुलझने के सिलसिले,  नामालूम से सवाल और कभी ना मिल सकने वाले जवाबों की बेजा खोज ! तर्क कुछ नहीं कुतर्को के सहारे अतीत को थामे रहकर खुद को प्रताड़ित करते रहने का कोई अर्थ भी तो नहीं।

अपने फैसलों का खामियाज़ा खुद ही भुगतना होता है। गलत सही का फैसला समय करेगा। 

ये होली गयी और रंग दे गयी ,रंग गयी। मैं फिर से जिंदगी में लौट आयी..........  लौटने के लिए कुछ तारीख़ें वक्त तय करके रखता है। आखिर तारीखों का भी तर्पण होता है ,उनमें में भी प्राण होते हैं। 

खुद को आज़ादी मुबारक कहने का दिल कह रहा है ,वक़्त ने ये हौसला दिया है कि आवारगी कायम रहे। अपने अगले सफर पर निकलने की तैयारी है।  बाबा नीम करोरी के पास जाने का मन है। पहाड़ बुला रहे हैं ,मैं आ रही हूँ........ 

बाहर की व्यवस्था से लड़ना आसान है पर भीतर की उठापटक से जूझना बेहद मुश्किल।  आसान से सवाल और सीधे सपाट दिखने वाले रास्ते उतने सहज भी नहीं जितने प्रतीत होते हैं।  मन के चक्रव्यूह में ख्वाहिशों का अभिमन्यु हर बार मारा जाता है पर ना मन बाज आता है ना ख्वाहिशों की ताक़त कम होती है। 

हम सब भीतर की महाभारत में कभी दुर्योधन कभी कान्हा बन जाते हैं कभी गांधारी बन अंधत्व का ऐच्छिक वरण कर सुख की अनुभूति लेते हैं और दुःख को स्वनिमंत्रित कर बैठते हैं। 

मन भी कमाल है ,कितना धमाल करता है ! सबकुछ उल्टा पुल्टा अस्त व्यस्त और उसके बाद पसरा सन्नाटा ..... समय वो भी बीत जाता है और फिर से वही सब दोहराया जाता है। हर बार, बार बार और कितनी बार मन के फेर में फेरा लग जाता है ,आंसुओं की लड़ियां बांध जाती हैं ,कभी मन समंदर हो तुमसे गले लग जाता है। 

जीवन भी अद्द्भुत है ,तुम संगीत हो। गूंजता है हर पल और उसकी रुनकझनक मुझे जंगल में खींचे लिए जाती है........ असीम शांति और सुकून के लम्हे चुरा ही लिए हैं मैंने !!

जिंदगी को मृर्त्योत्सव की तरह जी लीजिए ! है भी और नहीं भी और होगी भी नहीं ........  वेदना को क्षमा के दरिया में बहा आइये और देखिये ये संगीत फिर बजने लगा है !

खुशियों की चाबी क्षमा में निहित है , खुद को भी कीजिये और और अपने अपनों को भी कीजिये ....... अब हो जाता है ना कभी कभी ,आपसे भी और उनसे भी !!

चलते रहिये -मुस्कुरा के गले मिलते रहिये ! देखिये कोई रूठा तो नहीं है ना आपसे .......... दो कदम आगे बढ़ा के मना लीजिए और न माने तो दुआएं भेजिए कि सब सुख सब के आंगन में बरसे। 

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