Saturday 23 April 2016

अगला स्वयंवर राज्यसभा का है। हल्दी लगाओ बे नेता जी को .........

सत्ता कितनी भी हो पुरानी हो मेकअप नई बहू सा रखती है। दर्जन भर चूड़ियां ,कंधों तक मेहंदी नाक तक सिन्दूर ......... ! उसका हनीमून अगले स्वयंवर तक जारी रहता है। इस सत्ता का धणी उसका नेता होता है। हमेशा जजमान की मुद्रा में अचकन -टाई लटकाए रहता है। कार्यकर्ता सब बराती होते हैं। दूल्हे के आसपास बने रहेंगे तो फोटो में चेहरा आता रहेगा ,लोग चार बार दूल्हे का अता पता ही पूछ लें तो बरात में शामिल होना वसूल हो जाता है। 
सत्ता-नेता ब्याह में जनता को पंडित की भूमिका दी जाती है। कुंडली मिलाने के लिए दो जोड़ी रेशमी धोती और मलबरी के टंच कुर्ते का लालच और दक्षिणा में पंडित की औकात के अनुसार नकद का प्रावधान काफी है। दारु -मुर्गे की शौकीनी हो तो सत्ता की शक्ल और नेता की अक्ल से भी सरोकार नहीं होता। वो जैसा बोलो ओके कर देती है। 

हर ब्याह में जीजा -फूफा होते हैं ,सत्ता -नेता ब्याह में ये काम विरोधी दल करते हैं। वे कभी भी कहीं भी पसर सकते हैं। इज्जत उनकी वैसे कोई नहीं होती लेकिन मजबूरी है कि फेरे में डंडा फूफा गाढेगा ,जीजा साफ़ा बांधेगा सो संविधान की पालना के चलते उनको बुलाया जाना होता है। 

मीड़िया हॉउस इस ब्याह में ब्यूटीपार्लर होते हैं। सत्ता का श्रृंगार उनके दक्ष एंकर करते हैं। दुल्हन के नैननक्श ,कद -काठी के हिसाब से नकली गहने पसंद करवाए जाते हैं। ब्याह के कई दिन पहले से तय दर के हिसाब से सिटींग दी जाती है जिसमे उसे नख से शिख तक अभूतपूर्व सुंदरी बनाने की कवायद की जाती है। एंकर पूरे मनोयोग से उसकी ओढ़नी को जमाता है ,लटें संवारता है कि ऐन मौके जरा चूक ना हो जाए। 

दूल्हे नेता भी इसी पार्लर में जाते हैं ,आखिर रंग असली कैसा भी हो दिखना वही चाहिए जो पिया मन भाये। सत्ता की मैचिंग शेरवानी और साफ़ा बन के तैयार है। बरात दरवाजे पर आ पहुंची है। सोशल मीडिया बैंडबाजा है जिस के हाथ ट्विटर का झुनझुना ,फेसबुक की फूफडी और व्हाट्सप्प का ढोल है। बारात जैसे जैसे दरवाजे पहुंचती है सब जोर जोर से बजने लगते हैं , जीजा -फूफा नागिन नाच करते हैं और बाराती -घराती अपने बेस्ट में तैयार हो नेता-सत्ता के आगे पीछे हो लेते हैं। हर  बराती -घराती इस मुगालते में होता है  मने वो नहीं होगा तो ये ब्याह ही कैंसिल हो जाएगा। 

चंदे की नुक्ती -पूड़ी खा कर लौटने को होते हैं तो सत्ता -नेता का बाप दरवाजे हाथ जोड़े खड़ा होता है। लिफ़ाफ़े दिए बिना लौटेंगे तो आपके नाम के आगे शून्य दर्ज हो जाएगा फिर लल्ला के शगुन की लिस्ट में आपका नाम कट मानियेगा !

अब क्या ......... ब्याह हो गया ना ! हनीमून काल है ,फोटो सब देखते रहिएगा ! उनकी गलबहियों को देखते रहिये। पांच साल बाद ये फिर आएंगे तब तक नेता जी की सेवा पूजा करते रहिये। कल को सत्ता ने फिर इनके गले में ही हार ड़ाल दिया तो ये कहने से भी जाओगे कि हम तो दूल्हे के जिगरी हैं और दुल्हन के पास्ट प्रेजेंट का बही खाता रखते हैं। 

सो नेता जी के साथ माल उड़ाइये , अगला स्वयंवर राज्यसभा का है। हल्दी लगाओ बे नेता जी को ......... का ब्लॉग में टुकुर टुकुर पढ़ के समय खाली कर रहे हैं। चलते रहिये ब्याह का काम बहुत है ,हैशटैग का टोकरा खाली कर दीजिये  ,मोगरे के इन फूलों से दुल्हन इनकी ही न हो तो कहिएगा !

शुभ विवाह !

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