Monday 3 August 2015

वानप्रस्थ जरूरी है !

जिंदगी जब जब बहुत बेचैन कर देती है अध्यात्म की राह सबसे सुकून देती है। भटकते -भटकते कुछ समय पहले उत्तराखंड के कैंची धाम आश्रम पहुंची थी ……यूँही पढ़ के सुन के ! संयोग से आश्रम में रहने का मौका मिल गया और जिंदगी को फिर एक मौका अपने करीब आने का  ! 

बाबा नीम करोरी को गुज़रे बरसों हो गए।  आश्रम उनके सेवादार चलाते हैं। कोई सत्तसंग - कोई प्रवचन नहीं। बाबा की स्मृतियाँ आश्रम में जस की तस हैं …………पहली मुलाकत थी उस दिव्यात्मा से। सिरहाने बैठ कितने घंटे पल में गुज़र गए पता नहीं चला। बरसों का गुबार आंसुओं की धार बन बहता रहा और सीने का बोझ हल्का होता रहा ..... क्या बाबा ने कहा क्या मैंने सुना नहीं पता पर जो कुछ भी घटा वो सूकून भरा था। 

आध्यात्मिक पाखंड के इस दौर में इस यदि मेरे जैसे नास्तिक को इतना खूबसूरत अनुभव हुआ तो निसंदेह मुझ पर अज्ञात शक्तियों की कुछ कृपा जरूर रही होगी। 

भटकना बेजा नहीं होता ……कुदरत का इशारा होता है। आपके लिए रास्ता बन रहा है ..........  इंतज़ार में हूँ कि कब वो वक्त आएगा जब सब जंजाल खत्म हो और पहाड़ -जंगल के बीच मैं उस निरकार के साथ अंतिम लम्हे गुज़ार  सकूँ ..........वानप्रस्थ जरूरी है पर आश्रम कोई मन में ही बस जाए ये भी जरूरी है !!  


2 comments:

  1. Very good! Kabhee mauka mile to www.iamshishu.blogspot.com par bhee dekhana. kuchh kuchh likhne kee koshish karta hoon.

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  2. एक पूरा सफर कर लिया आपके माध्‍यम से

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