Thursday 13 August 2015

तुम से तुम तक और फिर तुम तक आकर तमाम अंतर्विरोध शांत हो जाते हैं..................

कमाल की जिंदगी है ,छोटी सी है पर लम्बी है। खामोश है पर बोलती बहुत है। चलती है पर ठहरी सी है...........
सवाल है या सवालों का जवाब है..........पता नहीं ,पर जो भी है गोरखधंधा जरूर है। 

सब सुख का जतन कर रहे हैं ,सब दुःख से निकलने की कोशिश कर रहे हैं है -- बात एक ही है। रिश्तों के मकड़जाल में सुख गुम जाता है.......रिश्ते कंप्लेन बुक की तरह होते हैं ,दर्ज करवाते रहिये।  ग्रीवेंस रिड्रेसल का फ़ीड बैक यानि  सफाइयों  का अंतहीन सिलसिला जो नई ग्रीवेंस पर जा के खत्म होगा या अगले विवाद तक के लिए अल्पविराम मान लिया जाएगा। 

सब जी रहे हैं ,सबके अपने भीतर मोर्चे खुले हुए हैं। विरोध भी अपनों से है ,जीत की चाहना भी है। आकांक्षाओं -अपेक्षाओं के घमासान में वो लम्हे चुराना कितना मुश्किल है जिसमें "मैं " जी सकूँ। 

 उम्र की हर दहलीज पर द्वन्द युद्ध होते देखा है -- सांसे बस नाम को अपनी  हैं बाकि हक इन पर भी कहाँ है ? आसपास हर कोई सांसों के नियम-अधिनियम बनाने -सुनाने में लगा है। हर कोई इसी मुगालते में है कि वही भाग्य विधाता है ............. 

स्वार्थी मैं भी हो जाती हूँ जब तुमको अपने से बांधे रखती हूँ ……कहीं गाना बजने लगा है........ "  मोह -मोह के धागे , तेरी उँगलियों से जा उलझे ".......इन धागों ने एक संसार रच लिया है जिसमें रिश्तों से परे की कोई कहानी आ बसी है ……… जिसमें वही झील ,वही पखडंडी ,वही लम्हे और वही तुम ,वैसे ही तुम बस गए हो। कुछ नहीं बदलता !!

वक्त रुका हुआ है कि बढ़ रहा है ,पता नहीं ! कोई कुछ बोल रहा है या चुप्पी है , पता नहीं ! शिकायतें भी नहीं -समझौता भी नहीं फिर भी कुछ है जो घटता भी नहीं ! कुछ है जो खाली नहीं होने देता ,कुछ है जो सोने नहीं देता....... ये वही सुख है जो जीने भी नहीं देता और मरने भी नहीं  देता। 

तुम से तुम तक और फिर तुम तक आकर तमाम अंतर्विरोध शांत हो जाते हैं। रिश्ते का अध्यात्म में बदल जाना सुकून देता है। मेरी उँगलियों के पोरों में साझा क्षणों के मनके हैं।  इस माला को हथेलियों में थामे मैं मीलों चल सकती हूँ……सुख का ये उजास मुझे जिंदगी ने दिया है इसके लिए उसे शुक्रिया कहने का अनमोल सुख मेरे पास है  !! जब तुम आसपास हो तो कोई कमी भी कहाँ है ! 

जी रही हूँ मैं .............तुम्हारे नाम से खुद को जी रही हूँ मैं ........खुद को साध रही हूँ मैं !  बेहतरीन वक्त है ये ...... 

No comments:

Post a Comment