आवारगी
ताल ,पहाड़ ,जंगल, सफ़र, एक कोई शाम …… कहानी बस इतनी सी है .......
Tuesday 18 August 2015
ये काल की ही बात थी ..........
हथेली भर बेर के
प्रसाद के लिए दौड़ी थी
वो शिव की रात थी
सब तुमको ही देना था
मैं तब भी निमित्त मात्र थी
ये काल की ही बात थी
1 comment:
Kanan Gupta
26 August 2015 at 22:47
शानदार... ज़बरदस्त... जिंदाबाद... :D
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शानदार... ज़बरदस्त... जिंदाबाद... :D
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