Tuesday 18 August 2015

नया फिर कुछ चाहिये होगा !! कहाँ से लाइयेगा......नई बातें -नई मुलाकतें…नया मन -नया तन !!

मुगालतों में जिंदगी बसर होती है ……ये सच भी स्वीकार कर लीजिये। खुश होने के लिए सब को कोई कारण चाहिए , इसीलिये आप भी खुश हो जाइए कि आप पहले शख्स हैं जिसे ये सुख मिल रहा है !! मूर्खता की हद तक आत्मउत्पीड़न और आत्मशोषण कीजिए कि हालात आपके नियंत्रण में हैं…………इस्तेमाल कीजिए और इस्तेमाल होते रहिये !!

छद्म रूप धर के खुशियां अपने घुटनों  बैठ आपसे उस सुख की याचना  करती हैं जिसे देकर आप जीवन भर की दरिद्रता अपने हिस्से में रख लेते हैं।  दे दीजिये....... ये जानते हुए हुए भी कि जो हो रहा है वो छल से अधिक कुछ नहीं है ! स्वर्ण मृग की इच्छा में आप भी अपने शोषण को आत्मनिमंत्रण दीजिये..........
दौर सब बीतेंगे , स्वाद सब चुक जाएंगे , कपड़े  पहनते ही पुराने हो जाने हैं..........नया फिर कुछ चाहिये होगा !! कहाँ से लाइयेगा..... नई बातें -नई मुलाकतें….. नया मन -नया तन !!

कहिये कि ऐसा नहीं होगा ,जो मेरे पास है सो मेरे पास सदा रहेगा……… हाहाहा !!! मैं सिर्फ हंस सकती हूँ और आपके लिए प्रार्थना कर सकती हूँ कि आप भी कबाड़ के भाव की अपनी भावनाओं के आदान -प्रदान का खेल  पर्दा गिरने तक उसी शिद्द्त से निभा सकें और चोट खाने लायक साहस अपने भीतर बनाये रख सकें !!

बहरहाल आज का दिन मुबारक ! जश्न का दिन है जी भर के मनाईये....... कल के लिए क्या सोचना जो हो सो तो होना तय हइये ही !!



  

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