Saturday 19 September 2015

मेरी आवरगी को ट्वीटर की नज़र लग गयी !

ये ट्वीटर भी अजब शह है , इसमें न उलझती तो भला रहता ! जिंदगी सुकून में थी ! टीवी और अखबार से मिली चंद खबरें और खबरों से बने मुगालते इस हकीकत से क्या बुरे थे ....... वो कम से कम उलझाते तो ना थे ! कुछ एक सीरियल और उनकी काल्पनिक दुनिया कुछ घंटों के लिए ही सही बेमुरव्वत जमाने से दूर ही टहलाने के लिए लिए जाते थे ! क्या बुरे थे ? किसी खबर का सच जान के भी क्या कर लिया मैंने ?

यहाँ आये शायद साल भर हुआ है लेकिन लगने लगा है कि कहीं जन्म से ही तो यहाँ नहीं हूँ.......... रवीश से ट्वीटर था और शायद अब भी है ! रवीश इतनी बार ट्वीटर का नाम न लेते तो मैं शायद यहाँ नहीं होती....... जब आयी थी तो लगता था कि 140 शब्दों की सीमा में कुछ भी कह पाना मुश्किल है ,अब लगता है कि 1000 शब्द भी लिख दो तो भी कुछ नहीं होने वाला ! सब कुछ जस का तस है……… धरती घूमे जा रही है हमें वहीं बने रहने का भरम बना रहता है।  जो बदल रहा है वो कहाँ बदल रहा है किसी को नहीं पता पर सब के तमंचे में 140 गोलियां हमेशा भरे रहती हैं।

जिंदगी की टाइम लाइन और ट्वीटर की टाइम लाइन में कोई अंतर नहीं है , यहाँ भी जानेअनजाने वही चेहरे -नकाबपोश इर्दगिर्द जमा हो जाते हैं जो या तो आपके घोर समर्थक हैं या घोर आलोचक ! जो न्यूट्रल हैं वे आते जाते रहते हैं ! संवाद समर्थकों -प्रशंसकों से होता है विवाद आलोचकों से !  तुम मेरा आरटी करो मैं तुम्हारा आरटी कर देता हूँ वाली डील उन रिश्तों सरीखी है जो हाँ में हाँ कहने के लिए सहेजी और बनायी जाती है।

यहाँ आने के बाद मेरे शब्द भंडार में उन शब्दों ने भी जगह बना ली जिसे मेरे भाषायी संस्कार शायद ही कभी अपना पाते ....... अब सब सामान्य लगने लगा है ! इम्युनिटी पैदा हो गयी है ,निम्नतम उपमाएं भी सहन करने लगी हूँ .......... देर शाम घर लौटते थे तो पहले माँ -पापा  फिर पति चिंता करते कि सुरक्षित लौट आये ! अब क्या ? …… अब वे क्या जाने कि यहाँ बिना कहीं जाए मैं दिन भर मान भंग की शिकार होती हूँ !

हवस के भूखे -नंगों का ठिकाना भी यहीं देखा ! ठरक के ठेकेदारों को नैतिकता का ज्ञान बांटते देखा ! इश्क़ के पैरोकारों को जिस्म को उघाड़ते देता …वो जो 140 शब्दों में आँखों में मयख़ाना उतार देते हैं उनको दूसरे कमरों में उन्हीं आँखों से उसी मयखाने को जिस्मफरोशी का अड्डा घोषित करते देखा !

अजब खेल है गज़ब लोग हैं ! सत्ता के खिलाड़ी भी मिले ,गोटी चलने और गोटी बदलने में हुनरबाज़ भी यहीं मिले ! खबरों को तलने वाले , ख़बरों को मसाला लगाने वाले भी देखे ! सच के पुलिंदे और झूठ से लबरेज ,पल -पल पलटते वादे -दावे भी देखे !

इस एक साल में जिंदगी बदल गयी ! ट्वीटर की गली में बने मकान की ईंटों से भी घर सा प्यार हो गया है , इर्दगिर्द नए रिश्तों का बगीचा भी लगा है पर मन अक्सर उचाट हो जाता है……… लगता है मनो ये निःशब्द चीखने की जगह है !

इन सबके बीच तुम भी यहीं हो ....... ट्वीटर शहर की एक गली में तुम्हारा भी आशियाना है ! घूमते -फिरते पीले सितारों की सौगात दे जाते हो ! कभी कोई खत डीएम पर चला आता है ! कुछ दिनों से तुम उदास हो या शहर से दूर हो -- हर पल की खबर मुझ तक पहुँचती रहती है  ……पर जब ट्वीटर पर नहीं थे तब भी तो हम वहीं थे ! खबर की तब जरूरत भी न थी। ....... पता था कि तुम कहीं भी हो आसपास ही हो !

ऑरकुट से चले ट्वीटर पर आ पहुंचे ! सब बदल गया ……… कैलेंडर के पन्नो सा हैडर -बायो बदलता रहा।

मैं भी बदल रही हूँ -- ट्वीटर ने मुझे बदल दिया ! मैं कहने लगी हूँ ,सहने लगी हूँ ,छुपाने लगी हूँ...........मैं अब सिमटने लगी हूँ !

उचाट हुआ जाती हूँ……जाती हूँ फिर यहीं लौट आती हूँ ! बंद हो ये सिलसिला ,लौट आये वो सुकून...... मेरी बेपरवाही कहीं खो गयी है इस सफर में ! मेरी आवरगी को ट्वीटर की नज़र लग गयी !

ये ट्वीटर है मेरी जान यहाँ सब चलता रहेगा अब कुछ थमने वाला नहीं है सो आप भी कहते रहिये -सहते रहिये - ढोते -बहते रहिये ! खुद से बतियाना है ये !

चलते हैं आप भी बढ़ते रहिये !




3 comments:

  1. Bahut badiya likha professor sahiba:)

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  2. ruh - jism ka thor thikana chalta rahta hai,,
    Twitter pe aana jana apna bhi chalta rahta hai,,,

    mil jate hai kabhi achhe log kabhi bure logo se bhi uljhna chalta rahta hai,
    padh lete hai kabhi waqt nikal ke aapka blog fir sochna aur amal karna chalta rahta
    hai....

    aap yun hi likhte rahiye sukun milta hai padh ke....

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  3. There are good people on Twitter, they do not follow the herd, do not expect quid pro quos of petty RTs. They support acts not parties or people, and yet can be political.
    You know so much, and are observant, Madam. Maybe you should find them. But they, much as you, more often than not, plough a lone furrow. And walk alone even in a crowd. The beauty in Twitter is in finding those hidden gems, in reading those rare thoughts & perspectives.

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