Thursday 15 October 2015

न कोख उसकी न देह उसकी !……

चार -पांच दिन हुए आर टी आई की एक अर्जी आयी।  सूचना मांगने वाले ने किसी लड़की की साल 2000 में कॉलेज में नियमित छात्रा होने से संबंधित दस्तावेज मांगे थे …… आवेदन देख के समझ में आ रहा था कि कहीं कोई कानूनी पेच है जो ये सूचना माँगी गयी है !

तबियत ठीक नहीं थी ,कॉलेज नहीं गयी। फोन बजा की सूचना जल्दी चाहिए .... " क्या जल्दी है ?" कोर्ट में तारीख है ,जल्दी दें तो मेहरबानी होगी ! समझ आ गया कि मामला वही कुछ है …… कल दोपहर मिलियेगा , कह के फोन बंद कर दिया !

बहुत परेशान हूँ मैडम ! 498 कर दिया है , कई बार बंद हो आया हूँ ! वो तलाक नहीं दे रही है।
तो आप दे दें ? मैंने कहा।
वो बच्चा लौटा दे और 5 लाख के गहने लौटाए तो मैं दे दूँ।
वो बच्चा आपको क्यों दे ?
बच्चा मेरा है।
बच्चा तो उसका भी है ,मैंने कहा।
वो इन्द्राणी है , मैं आपको क्या बताऊँ ! बदचलन है …
ओह्ह्ह …… तो वो बच्चा आपका है ये आप कैसे कह सकते हैं ,छोड़ दीजिये ऐसी बदचलन औरत को !
नहीं , बच्चा तो मेरा ही है। हम 15 साल साथ रहे , बच्चा कैसे छोड़ दूँ !
आप करते क्या हैं ?
थर्ड ग्रेड टीचर की तैयारी !
वो ?
नर्स है।  बदचलन है , खराब है।
आप काम क्या करते हैं ?
उसको नौकरी कराई।
नौकरी कैसे कराई ?
नर्स थी ,पांच गांव लाता -ले जाता था।
मने ,ड्राइवर थे ?
नहीं , उसको साथ ले जाता था ,साथ लाता था ! वो बेकार औरत है।
कैसे ?
केरल की साथी नर्सों से बात करती थी।
अच्छा ,और…?
हंसती थी , सबके साथ बात करती थी !
ओह्ह !
वही समझाता था कि चुपचाप काम करो और घर आ जाओ ! दुनिया खराब है मैडम।
हम्म ,सो तो है पर आप अच्छे हैं  ?
वो बदचलन है !
आपने उसकी बदचलनी पकड़ी ?
नहीं ,मैं साथ रहता था ना , कैसे करती।
हम्म !
पर वो बेकार है।
अच्छा , तो अब क्या चाहिए ?
बच्चा और गहने।
क्या करोगे दोनों का ?
वो तो नाते जायेगी तो उसके पास तो और आ जायेंगे।
और बच्चा क्यों चाहिए ?
बुढ़ापे का सहारा चाहिए।
उसको भी तो चाहिए?
वो बेकार औरत है।
बच्चा कितने साल का है ?
8 साल का है।
15 साल बाद उसने या उसकी बहू ने आपके साथ रहने से मना कर दिया तो दूसरा मुकदमा फिर लड़ना पड़ेगा ?
ऐसा नहीं होगा।
कैसे पता ?
देख के लाऊंगा !
अभी नहीं देखा था ?
देखा था....... पर वो बेकार थी !!!

मैं अब चुप थी।  देख रही थी कि औरत के चरित्र को तराजू लेकर तोलने का ठेका क्या सब कोख से  ले कर आये हैं ! उसकी साँस -सांस पर पहरेदारी पर भी वही बदचलन।  जिस दिन पति के साथ नहीं रहने या किसी और के साथ संबंध रखने का निर्णय ले लिया तो समाज पर पहाड़ टूट पड़ेगा।

न  कोख उसकी न देह उसकी !

सूचना का अधिकार आपको सूचना का वैधानिक हकदार  बना रहा है ! आईये , वर्तमान तो आपका है ही ,भूत और भविष्य भी आपको सौंप दे रहे हैं ........

वाह री नियति ? जन्नत सी कोख के साथ पहाड़ सी लज्जा काहे दे दी ?

प्रश्नों का अंतहीन सिलसिला है। बेमियादी सज़ा सी जिंदगी बना देता है ये समाज …… गाना याद आ गया " ओ री कठपुतली गोरी कौन संग बांधी डोर ....... "

ये पर्दा भी गिरेगा किसी रोज जब अंगना से चिरइया फुर्र हो जाएगी ....... सफर कब थमता है ! कभी इस खूंटे कभी उस खूंटे !

रवायतों ने खुशियों पर पहरेदार बिठा रखे हैं …मन पाखी साथी ढूंढता है ,समाज चौकीदार ढूंढ के देता है ! अजब नज़ारे देखें हैं मेरी आवारगी ने !

आप भी देखिये ,और सोचिये कि आपके आसपास कितने चौकीदार हैं ! हम चलते हैं ……











1 comment:

  1. मंटो होना मुबारक हो। तुलना ना समझियेगा । आज के सच को लिख रहे हो। किराये के तनकीदनिगार खड़े किये जायेंगे ,केस होगें ,कुछ समकालीन साहित्यकार ख़िलाफ़ बोलेंगे । मतलब सही चोट कर रहे हैं । लिखना मत छोड़िये🙏

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